चार कंधा भी न मिला …..
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करते जो तुम मुझसे प्यार
न देते तुम इतना सिला
अकेले आये,अकेले जा रहे
चार कंधा भी नहीं मिला
मस्त-मस्त इस दुनिया मे
मस्ती के रंग है कई हजार
भूख की खातिर चमड़ी बेचते
देखा हमने बीच बाज़ार
गरीब”रोटी ”पाये अखबारों मे
‘उनका’ फोटो छपा खिला-खिला
ज़िंदगी भर रहे भीड़ भाड़ मे
जब मौत आई,कोई न मिला
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