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हैप्पी वैलेंटाइन डे

Alok Tiwari
Alok Tiwari
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आज वैलेंटाइन्स डे है। इसे हिन्दी में प्रेम दिवस भी कहा जाने लगा है। आप चाहे जो भी हों लेकिन यह दिन आपको प्रभावित किए बिना नहीं रहता। आज इस अवसर की पैठ हमारे बीच कुछ इस कदर गहरी हो चुकी है कि यह अब होली-दिवाली की तरह जीवन का अभिन्न अंग लगने लगा है। बहुत से लोग हैं जो वैलेंटाइन्स डे को भारतीय संस्कृति के विरुद्ध मानते हैं। मेरा मानना है कि संस्कृति कोई ठोस वस्तु नहीं है जो अपना आकार ना बदल सके। संस्कृति तो समय की नदी में बहता पानी है जो हर पल अपनी सूरत बदल रहा होता है। वैलेंटाइन्स डे को जिस तरह हमारे युवाओं ने स्वीकारा है उससे यह बात ज़ाहिर होती है कि पहले से ही इस तरह के किसी उपलक्ष्य की ज़रूरत महसूस की जा रही थी। जब हमारी संस्कृति इस ज़रूरत को पूरा नहीं कर पाई तो एक विदेशी त्यौहार को हमने अपना लिया। इसमें मुझे कुछ भी ग़लत नहीं लगता।

हालांकि एक बात है जो मुझे कुछ हद तक अखरती है। हमनें वैलेंटाइन्स डे को अपना तो लिया लेकिन इसके मूल स्वरूप को समझ नहीं पाए। यह दिन प्रेमी-प्रेमिकाओं के बीच रहने वाली रूमानी भावनाओं के प्रकटन का दिन है। जबकि हो यह रहा है कि आजकल हर व्यक्ति हर दूसरे व्यक्ति को “हैप्पी वैलेंटाइन्स डे” कहता दिखाई देता है। प्रेम भाव तो सबके बीच होता है और होना भी चाहिए –लेकिन वैलेंटाइन्स डे एक ख़ास किस्म के प्रेम को ज़ाहिर करने और उसकी खुशी मनाने का दिन है। यहाँ हम एक स्त्री और एक पुरुष के बीच पनपे रूमानी प्रेम की बात कर रहे हैं –बहुधा इस प्रेम की परिणति स्त्री-पुरुष के बीच विवाह में होती है।

आजकल हो यह रहा है कि हर मित्र दूसरे मित्र को एस.एम.एस. करके वैलेंटाइन्स डे की शुभकामनाएँ देता दिखता है। यहाँ तक की पुरुष पुरुष को और स्त्री स्त्री को वैलेंटाइन्स डे की शुभकामनाएँ देते हैं! मेरे विचार से वैलेंटाइन्स डे का यह अजीब स्वरूप हमारे बीच बाज़ार ने खड़ा किया है। जितने लोग स्वयं को इस दिन से जुड़ा महसूस करेंगे उतना ही अधिक बाज़ार में व्यापार भी होगा। इसके चलते बाज़ार ने कभी-भी खालिस रूमानी प्यार से इस दिन को नहीं जुड़ने दिया। एस.एम.एस. भेजना इतना आजकल इतना आसान है कि लोग एस.एम.एस. भेज ही देते हैं और बस यह प्रथा चल निकलती है कि हर कोई हर किसी को वैलेंटाइन डे की शुभकामनाएँ देता दिखाई देता है!

प्रेम के विभिन्न रूपों की खुशी मनाने के आज हमारे पास सभी मौके हैं। पिता-दिवस, माता-दिवस, मित्र-दिवस, रक्षा बंधन, करवा-चौथ इत्यादि मौके प्रेम के इज़हार के लिए ही तो हैं ना। इसलिए सही दिन पर सही व्यक्ति को शुभकामना देना बेहतर है। वैलेंटाइन डे को प्रेमियों के लिए छोड़ दिया जाए तो बेहतर रहेगा।

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