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आज मेरे यार की शादी है

Alok Tiwari
Alok Tiwari
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इन दिनों शादियों का सीजन है। हर साल कई बार ऐसा दौर आता है जब यह गुमां होता है कि कुंवारों की बन आई है। कई औरों के लिए भी यह सीजन पांचों उंगलियां घी में डालने वाला होता है। बैंड बाजा तो है ही, कैटरिंग, बैंक्विट, फार्महाउस, जूलरी, साड़ियों के साथ-साथ मैरिज मैनेजमेंट का धंधा भी अब चल निकला है। सब चाहते हैं कि बस यह सीजन यूं ही चलता रहे। इधर, एक और धंधा भी इस सीजन से आ जुड़ा है, जिनके लिए तो किसी हींग और फिटकरी की भी जरूरत नहीं है लेकिन वे शादी के रंग को भी बेरंग कर जाते हैं। पिछले हफ्ते ऐसी दो घटनाएं देखने को मिलीं और सवाल भी उठा कि आखिर इन्हें कैसे रोका जाए।
स्टेज पर दूल्हा-दुल्हन इतरा रहे हैं। मेहमानों का तांता लगा हुआ है। इस भीड़ में हर आने वाले का स्वागत मुस्करा कर किया जा रहा है। मेहमान गिफ्ट भी ला रहे हैं और शगुन के लिफाफे भी भेंट कर रहे हैं। मगर अचानक ही रंग में भंग पड़ गया। एक रिश्तेदार शगुन के लिफाफे एकत्र कर रहा था और बैग में रख रहा था, उसका बैग ही गायब हो गया। सबके चेहरे उतर गए। इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं, मेज-कुसीर्, सोफा-कालीन सब जगह तलाश किया गया। बैग न मिलना था, न मिला। बैग में लिफाफों के अलावा भी बहुत कुछ था। मोबाइल, घर की चाबियां, कागजात वगैरह। पुलिस को बुलाकर तलाशी लेना मेहमानों का अपमान होता और यह उम्मीद तो कम थी ही कि चोर पकड़ा जाए।

दूसरी घटना में दूल्हे के परिवारवाले खुशकिस्मत थे। जैसे ही स्टेज पर भीड़ बढ़ी, दूल्हे की मां ने शोर मचा दिया कि कैश और जूलरी वाला बैग गायब है। देखा तो एक सजी-धजी महिला अपने बच्चे का हाथ थामे वहां से खिसकने की फिराक में है। बैग को छिपाने की कोशिश कर रही थी। जैसे ही उस पर नजर पड़ी, उसे दबोच लिया गया। वह गिड़गिड़ाने लगी और कुछ लोगों ने दो-चार थप्पड़ भी जड़ दिए। तरस खाकर महिला को वहां से यों ही जाने दिया गया। पुलिस से इसलिए भी ज्यादा उम्मीद नहीं कि पिछले दिनों एक शादी में एक बच्चे को इसी तरह बैग चुराते पकड़ लिया गया। पुलिस को बुलाया गया तो उसने यह कहते हुए हाथ झाड़ लिए कि हम बच्चे को गिरफ्तार नहीं कर सकते।

शादी-ब्याह में भीड़भाड़ और शो-ऑफ  के साथ ऐसी घटनाएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। पुरानी फिल्मों में अक्सर एक सीन देखा जाता था जब कोई फटेहाल हीरो किसी पार्टी में शामिल होने के लिए ड्राई क्लीनर से कपड़े उधार ले लेता है। वही फॉर्म्युला अपनाया जा रहा है। शादी की भीड़भाड़ में कोई भी सज-धजकर बराती या घराती बनकर शामिल हो जाता है। कुछ लोग तो सिर्फ लजीज खाने के लिए भी ऐसा कर लेते हैं, लेकिन अब तो इरादे खतरनाक हैं। बच्चों को इसलिए साथ रख लिया जाता है कि किसी को शक न हो। जाहिर है कि कई बार तो बच्चे ही ऐसी घटनाओं के सूत्रधार भी बन जाते हैं और बैग व अन्य कीमती सामान पर हाथ साफ  कर लेते हैं।

शादी में शामिल होने वाले मेहमानों पर आखिर कौन नजर रख सकता है। दोनों पक्षों के लिए कई चेहरे अनजान होते हैं। तब तो यह काम और भी मुश्किल हो जाता है जब मेहमानों की संख्या काबू से बाहर हो जाए। ऐसे में अक्सर मोबाइल फोन पार कर लिए जाते हैं। सीसीटीवी या विडियोग्राफी के सहारे कई बार अपराधियों को पहचानना संभव हो जाता है लेकिन ऐसी घटनाएं रोकना आमतौर पर संभव नहीं है। हां, एहतियात बरतकर ऐसी घटनाएं कम अवश्य की जा सकती हैं। शादी के जोश में होश कायम रखने के लिए साथ-साथ अगर भीड़ को थोड़ा कम करें तो यह मैनेज हो सकता है। पहले से ही किसी की जिम्मेदारी फिक्स करके भी सतर्कता दिखाई जा सकती है। इन दिनों शादी में मेहमानों की संख्या भी शो-ऑफ  का एक जरिया है। इससे शादी के सीजन में हाथ की सफाई करने वालों का काम पूरी तरह आसान हो जाता है और वे चाहते हैं कि बस ये सीजन यों ही चलता रहे।

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