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अबे ये मेरी वाली

Alok Tiwari
Alok Tiwari
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आपका बॉयफ्रेंड या गर्लफेंड आपसे कितना प्यार करता/करती है, इसकी सच्चाई हिडन कैमरे के जरिए बताने वाला रिऐलिटी शो ‘इमोशनल अत्याचार’ इन दिनों काफी फेमस हो गया है। पिछले दिनों इसमें एक 10 साल का रिश्ता टूटते हुए दिखाया गया। बॉयफ्रेंड ने महज चार दिनों से मिल रही एक खूबसूरत लड़की को अपनी 10 साल पुरानी गर्लफ्रेंड के बारे में झूठी कहानी सुना डाली। इस प्रोग्राम में 50-60 नहीं, बल्कि 100 पर्सेंट मामलों में रिश्ते टूट जाते हैं। अपने पार्टनर से धोखेबाजी में लड़कियां भी पीछे नहीं दिखीं। महज एंटरटेनमेंट के लिए बना यह रिऐलिटी शो यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमें अपने लवर पर आंख बंद करके भरोसा करना चाहिए?

किसी भी प्रेमी या प्रेमिका (या पति-पत्नी) के दिमाग में यह डाउट हमेशा बना रहता है कि जो बंदा या बंदी आपके सामने सात जन्मों के साथ की कसमें खा रहा/रही है, वह कोई मौका मिलते ही कहीं उसे स्वीकार तो नहीं कर लेगा? अगर उस ऑफर में सेक्स जुड़ा हो तो इसकी संभावना और बढ़ जाती है क्योंकि जैसा कि शेक्सपीयर के एक नाटक में कहा गया है – जब वासना का ज्वार आता है तो बुद्धि खिड़की के रास्ते बाहर चली जाती है।  जाहिर है, किसी को जबर्दस्ती किसी के साथ नहीं रखा जा सकता, लेकिन कोई मौका मिलते ही बॉयफ्रेंड -गर्लफ्रेंड का एकदम से बदल जाना लॉयल्टी और भरोसे की बुनियाद पर ही सवाल खड़े करता है। इस बारे में एक बहस छिड़ी तो एक शादीशुदा जनाब ने यहां तक कह डाला कि 80 पर्सेंट शादियां सिर्फ इसलिए टिकी रहती हैं कि उनके ऊपर बच्चों की जिम्मेदारी होती है। बच्चे न हों तो वे कब के अलग हो जाते! मैं उनका पर्सनल एक्स्पीरियंस समझकर चुप हो गया। बार-बार दिमाग में एक बात आई कि वे करोड़ों रिश्ते जो आज भी कायम हैं, वे क्या सिर्फ इसलिए कायम हैं कि उनमें किसी जासूसी कैमरे वाला एक्स्पेरिमेंट नहीं किया गया है और इसी कारण बेवफाई का पता नहीं चल पाया है, या उन कपल्स में इतना भरोसा है और प्यार है कि उन्हें इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी।

देखा जाए तो आजकल के लव बर्ड्स काफी ओपन हैं। वे एक-दूसरे को स्पेस देते हैं, रिस्पेक्ट देते हैं, उन्हें उनके दोस्तों के साथ अक्सेप्ट करते हैं। ऐसी कोई शर्त नहीं होती कि लड़का या लड़की नए रिश्ते में बंधेंगे तो पुराने तोड़ देंगे, लेकिन लगता है कि यह सबकुछ भी कम पड़ रहा है। किसी को और अधिक स्पेस (दूसरे शब्दों में छूट) चाहिए तो कहीं किसी को और ज्यादा स्मार्ट पार्टनर की तलाश है। ये पुराने पार्टनर को एक सब्स्टिट्यूट की तरह साथ रखकर किसी और से फ्लर्ट करने में कोई बुराई नहीं समझते। मैं यहां यंग जेनरेशन को गलत ठहराने और पुराने कपल्स की तरफदारी करने की कोशिश नहीं कर रह क्योंकि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की बात नई नहीं है। पहले भी वे होते थे लेकिन बात घर की चारदीवारी में दब कर रह जाती थी क्योंकि महिलाएं बाहर नहीं आती थीं। आज लड़कियां बड़ी संख्या में बाहर निकल रही हैं, इसलिए ऐसे अफेयर भी ज्यादा हो रहे हैं और सामने भी ज्यादा आ रहे हैं।

‘इमोशनल अत्याचार’ काफी हिट हो रहा है। लवर्स के एक-दूसरे को चीट करते रंगे हाथ पकड़े जाने पर ऑडियंस को बड़ा मज़ा आ रहा है। सोचती हूं, टीवी सेट के सामने बैठे लवर्स या कपल्स के दिमाग में प्रोग्राम देखते समय क्या गुज़रता होगा? क्या वे यह सोच कर खुश हो रहे होंगे कि हमारे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है, या उनके दिमाग में भी शक का बीज पड़ रहा होगा? या फिर उनके अपने जीवन का कोई ऐसा ही सच उनके सामने नाचने लगता होगा?

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